ऐसे अनेक पेड़ हैं, जो हमारे कारण आज दुर्लभ हो गए है।

ऐसे अनेक पेड़ हैं, जो हमारे कारण आज दुर्लभ हो गए है।

ऐसे अनेक पेड़ हैं, जो हमारे कारण आज दुर्लभ हो गए है। क्या आप इस #फल को पहचानते है…? #लभेर_का_फल।
#लसोढ़ा उर्फ #गुंदे – मुंह मे जाने के बाद बेहद ही स्वादिष्ट मीठा पर इतना चिपचीपा होता कि पुरा फेवीकोल ही मान लें मतलब मुंह मे जबडे चिपकने को हो जाते है इसे खाने के बाद पानी पी लें तो डिहाईड्रेसन और लू नही लगती,हम लोग इस फल से बचपन में हम लोग कापी – किताबें चिपकाया करते थे।
इसे हमारे इधर इस फल को लसोढ़ा भी कहा जाता है, यह इस माह (जून)के अंत तक खूब पक चुका होगा,क्योंकि कुछ फल इस प्रकार के होते है की उसके पकने के एक सप्ताह के अंदर मानसूनी वर्षा हो जाए तभी उसकी गुठली में अंकुरण होता है,जिनमें नीम,जामुन,महुआ,प्रमुख है पर लगता है कि लभेर भी संभवतः इसी प्रकार का होगा क्योंकि इनके फल जून अंत तक पकते है,लभेर का फल पकने पर पीला आकर्षक होता है जिसे दूर से देख चिड़िया खींची चली आती है,वह इसे गुठली गुदा समेत पूरा फल निगल जाती है तथा फिर कहीं दूर जाकर बीट कर इसके बीज को फ़ैलाने का काम करती है,वैसे फलों से आकर्षित दो चार फल मनुष्य भी खा लेते है पर गूदा लिरबिरा ,स्वाद रहित होने के कारण यह मनुष्य के भोजन में शामिल नहीं है हां अचार जरूर बनाया जा सकता है किन्तु इन दिनों फलों के राजा आम की बाहुलता के कारण इसे भला कौन पूछे ? यू भी गांव के आस पास मेड़ों बगीचों में विरल ही कहीं जमने के कारण यह पौधा रेयर ही पाया जाता है।

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लसोड़े के पेड़ बहुत बड़े होते हैं इसके पत्ते चिकने होते हैं। दक्षिण, गुजरात और राजपूताना में लोग पान की जगह लसोड़े का उपयोग कर लेते हैं। लसोड़ा में पान की तरह ही स्वाद होता है।
इसके पेड़ की तीन से चार जातियां होती है पर मुख्य दो हैं जिन्हें लमेड़ा और लसोड़ा कहते हैं। छोटे और बड़े लसोडे़ के नाम से भी यह काफी प्रसिद्ध है। लसोड़ा की लकड़ी बड़ी चिकनी और मजबूत होती है। इमारती काम के लिए इसके तख्ते बनाये जाते हैं और बन्दूक के कुन्दे में भी इसका प्रयोग होता है। इसके साथ ही अन्य कई उपयोगी वस्तुएं बनायी जाती हैं।
कोई भी पुरुष अपनी खूबसूरती को चेहरे से नहीं अपनी आकर्षक शरीर से दर्शाता है. लेकिन आज कल के खानपान के कारण ही कई लोग बहुत ही ज्यादा दुबले और कमजोर होते है। कई लोग शरीर को ताकतवर और मजबूत बनाने के लिए रोजाना मीट का सेवन करते है. लेकिन उसमे मौजूद ज्यादा मात्रा में तेल मसाले सेहत के लिए हानिकारक होते हैं।
आज हम आपको एक ऐसे फल के बारे में बताने रहें हैं जो बहुत ही शक्तिवर्धक माना जाता है, यह मांस से भी 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता हैं। इसका सेवन करते है शरीर में ताकत आ जाती है,इस फल का नाम लसोड़ा है, इसे आम भाषा में भारतीय चेरी भी कहा जाता है, इसका सेवन शरीर के लिए बहुत ही उत्तम और ताकत से भरपूर होता है,आयुर्वेद में लसोड़ा ताकतवर फल माना गया है,आप महीने भर में ही इसको लगातार खाकर शरीर में पहलवानों जैसी ताकत का अनुभव करेंगे।
लसोड़ा में भरपूर मात्रा में कैल्शियम और फास्फोरस होता हैं जो हड्डियों को मजबूत बनता है और शरीर को ताकत प्रदान करता हैं. इस फल को खाने से शरीर में ताकत आती है और शरीर को कई अन्य बीमारियों से राहत मिलती है. इस फल को खाने से आपके शरीर में नई ऊर्जा पैदा होती है जो आपके मस्तिष्क को भी तेज करती है. लसोड़ा का सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती हैं।
दाद के उपचार में लसोड़ा के फायदे : लसोड़ा के बीजों की मज्जा को पीसकर दाद पर लगाने से दाद मिट जाता है.
फोड़े-फुंसियां के उपचार में लसोड़ा के फायदे : लसोड़े के पत्तों की पोटली बनाकर फुंसियों पर बांधने से फुंसिया जल्दी ही ठीक हो जाती हैं।
गले के रोग उपचार में लसोड़ा के फायदे : लिसोड़े की छाल के काढ़े से कुल्ला करने से गले के सारे रोग ठीक हो जाते हैं.
हैजा के उपचार में लसोड़ा के फायदे : लसोडे़ की छाल को चने की छाल में पीसकर हैजा के रोगी को पिलाने से हैजा रोग में लाभ होता है।
दांतों का दर्द दूर करने में लसोड़ा के फायदे : लसोड़े की छाल का काढ़ा बनाकर उस काढ़े से कुल्ला करने से दांतों का दर्द दूर होता है।
लसोड़े का अचार
यह दाद, खाज, खुजली जैसी स्किन समस्याओं से काफी हद तक राहत दिला सकता है. लसोड़े के अचार के सेवन से ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल किया जा सकता है. इसमें एंटी-कैंसर और एंटी-एलर्जिक प्रॉपर्टी भी पाई जाती हैं।
अचार, इन लोगों को नहीं खाना चाहिए–
जिन लोगों को पाचन से जुड़ी समस्याएं हैं, जैसे गैस, अपच, पेट दर्द, और सीने में जलन दिल की समस्या है,हाई ब्लड प्रेशर
,अर्थराइटिस या जोड़ों से जुड़ी समस्याएं हैं ,ऑस्टियोपोरोसिस है।
लसोड़े के अचार में सोडियम की मात्रा ज़्यादा होती है, जिससे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. अचार में मौजूद सोडियम, शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को रोकता है. इससे हड्डियां कमज़ोर होती हैं और दर्द होने लगता है।