उर्मिला के विषय में उसकी निद्रा बड़ी प्रसिद्ध है जिसे “उर्मिला निद्रा” कहा जाता है।

उर्मिला के विषय में उसकी निद्रा बड़ी प्रसिद्ध है जिसे "उर्मिला निद्रा" कहा जाता है।

🙏🌹उर्मिला के विषय में उसकी निद्रा बड़ी प्रसिद्ध है जिसे “उर्मिला निद्रा” कहा जाता है। अपने 14 वर्ष के वनवास में लक्ष्मण एक रात्रि के लिए भी नहीं सोये, जब निद्रा देवी ने उनकी आँखों में प्रवेश किया तो उन्होंने निद्रा को अपने बाणों से बींध दिया, जब निद्रा देवी ने कहा कि उन्हें अपने हिस्से की निद्रा किसी और को देनी होगी तब लक्ष्मण ने अपनी निद्रा उर्मिला को दे दी। इसीलिए कहते हैं कि लक्ष्मण वन में 14 वर्षों तक जागते रहे और उर्मिला अयोध्या में 14 वर्षों तक सोती रही। दक्षिण भारत में आज भी कुम्भकर्ण निद्रा के साथ-साथ उर्मिला निद्रा का भी जिक्र उन लोगों के लिए किया जाता है जिसे आसानी से जगाया ना सके। ये इसलिए भी जरुरी था कि रावण के पुत्र मेघनाद को ये वरदान प्राप्त था कि उसे केवल वही मार सकता है जो 14 वर्षों तक सोया ना हो, यही कारण था जब श्रीराम का राज्याभिषेक हो रहा था तो अपने वचन के अनुसार निद्रा देवी ने लक्ष्मण को घेरा और उनके हाथ से छत्र छूट गया, इसी कारण वे सो गए और राम का राज्याभिषेक नहीं देख पाए, उनके स्थान पर उर्मिला ने राज्याभिषेक देखा।

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एक तरह से कहा जाये तो मेघनाद के वध में उर्मिला का भी उतना ही योगदान है जितना कि लक्ष्मण का, जब लक्ष्मण के हाँथों मेघनाद की मृत्यु हो गयी तो उसकी पत्नी सुलोचना वहाँ आती है और क्रोध पूर्वक लक्ष्मण से कहती है “हे महारथी! तुम इस भुलावे में मत रहना कि मेरे पति का वध तुमने किया है, ये तो दो सतियों के अपने भाग्य का परिणाम है, यहाँ पर सुलोचना ने दूसरे सती के रूप में उर्मिला का ही सन्दर्भ दिया है। यहाँ एक प्रश्न और आता है कि अगर उर्मिला 14 वर्षों तक सोती रही तो उसने अपने पति के आदेशानुसार अपने कटुम्ब का ध्यान कब रखा, इसका जवाब हमें रामायण में ही मिलता है कि उर्मिला को ये वरदान था कि वो एक साथ तीन-तीन जगह उपस्थित हो सकती थी और तीन अलग-अलग कार्य कर सकती थी और उनका ही एक रूप 14 वर्षों तक सोता रहा।

वाकई उर्मिला के विरह और त्याग को जितना समझा जाये उतना कम है, शायद इसीलिये सीता ने एक बार कहा था, “हजार सीता मिलकर भी उर्मिला के त्याग की बराबरी नहीं कर सकती”।
🙏 जय श्री राम 🙏
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