सहारनपुर : अनूठी पहल है प्रभु जी की रसोई, जहां भूख हारी और सेवा जीती

सहारनपुर : अनूठी पहल है प्रभु जी की रसोई, जहां भूख हारी और सेवा जीती

सहारनपुर : अनूठी पहल है प्रभु जी की रसोई, जहां भूख हारी और सेवा जीती

 

✍🏾रिपोर्ट- सुरेंद्र सिंघल/ गौरव सिंघल, वरिष्ठ पत्रकार.

सहारनपुर। सहारनपुर जनपद में प्रभु जी की रसोई केवल गरीबों

को निःशुल्क भोजन ही उपलब्ध नहीं करा रही है, यह जातिगत और मजहबी भेदभाव मिटाकर लोगों को साफ-सफाई के साथ प्रेम का संदेश भी दे रही है।

हर भूखे व्यक्ति को कम से कम एक वक्त का खाना अवश्य मिले और कोई गरीब जूठन खाने को विवश न हो, इस विचार को क्रियान्वित करने के उद्देश्य से आठ साल पहले समृद्ध और धर्मपरायण समाजसेवियों ने ‘प्रभु जी की रसोई’ की शुरूआत की गई थी। सहारनपुर जनपद के गांधी पार्क स्थित ‘प्रभु जी की रसोई’ में प्रतिदिन करीब 600 लोग

निःशुल्क भोजन करते हैं।

देश में अपनी तरह की यह एक अनूठी और प्रेरणादायी मुहिम है। खास बात यह है

कि रसोई स्वच्छता और प्रेम का संदेश भी देती है।प्रभु जी की रसोई का

प्रबंधन ‘लोक कल्याण समिति’ करती है। इसके सचिव शीतल टण्डन ने बताया कि इस रसोई में प्रतिदिन भोजन करने आने वालों को स्वच्छता का महत्व समझाते

जागरूक किया जाता है। खासतौर से उन्हें साफ-सुथरा रहने और साफ-सफाई का ध्यान रखने के लिए प्रेरित किया जाता है। 2017 में यहां कमिश्नर रहे और वर्तमान में केन्द्र व आवास मंत्रालय में संयुक्त सचिव दीपक अग्रवाल का

था, जो अभी भी इसकी वहीं बैठे निगरानी करते हैं, और संचालकों को अपनी

भावनाओं से अवगत कराने का काम करते हैं। इस मुहिम के सम्बन्ध में दीपक अग्रवाल का कहना था कि सार्वजनिक स्थलों पर

लोगों को भीख मांगते हुए और जुठन खाते हुए देखकर उनके मन में प्रभु

जी की रसोई शुरू करने का विचार आया। उन्होंने बताया कि समाज में अभी भी ऐसे गरीब और मजबूर लोग हैं, जिन्हें एक वक्त का भोजन भी उपलब्ध नहीं होता। हमारे ऋषि-मुनियों ने सदैव यही सीख दी है कि हमारे जो कुछ भी है, वह

ईश्वर की कृपा से है और उस पर सभी का

अधिकार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की

भी यही सोच है कि भारत में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोना चाहिए। अग्रवाल

कहते हैं, ‘‘मेरा मानना है कि साधन संपन्न लोगों की सहायता से ऐसी कोई

पहल की जाए, जिससे गरीब और लाचार लोगों को एक समय का भोजन उपलब्ध कराया

जा सके।’’ इस विचार को क्रियानिवत करने के लिए उन्होंने शहर के प्रशासनिक

अधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं व्यापारी संगठनों के प्रमुख लोगों

के समक्ष प्रभु जी की रसोई की रूपरेखा रखी और उनकी मदद से इसे मूर्त रूप दिया। उन्होंने बताया कि शामली में भी आपकी रसोई नाम से इस तरह की शुरूआत की गई

है। उद्यमी एवं पूर्व विधायक राजेश्वर बंसल इसका प्रबंध देखते हैं। दीपक

अग्रवाल चाहते हैं कि विभिन्न सामाजिक संगठन गरीब एवं असहाय लोगों को एक वक्त का भोजन

उपलब्ध कराने का संकल्प लें और अलग-अलग जगहों पर इस तरह की रसोई का आयोजन करें। 9 अगस्त 2017 को ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की वर्षगांठ पर प्रदेश के मंत्री सूर्य प्रताप

शाही ने प्रभु जी की रसोई का उद्घाटन किया था। मुख्यमंत्री

योगी आदित्यनाथ भी इस रसोई की सराहना कर चुके हैं। प्रभु जी की रसोई के लिए नए बर्तन और जरूरी सामान की व्यवस्था समाजसेवी

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सुभाष अग्रवाल ने की। क्षेत्र के अन्य लोग घी, तेल के साथ प्रचुर मात्रा में अनाज दे रहे हैं। प्रारंभ में रसोई में करीब 400 लोग आते थे।रसोई की लोकप्रियता बढ़ने के साथ-साथ भोजन करने वाले वालों की संख्या भी बढ़कर करीब 600

तक पहुंच गई है। रसोई का काम सुचारू रूप से चलता रहे, इसके लिए खाद्य

सामग्री का 60 दिन का भंडारण सुनिश्चित किया जाता है। उन्होंने बताया

कि उनकी लड़ाई भूख के खिलाफ है और इसे पूरी ताकत के साथ जारी रखा जाएगा। यहां भोजन का मीनू बदलता रहता है।रसोई में आलू-पूरी, हलवा,खीर कचौड़ी,

ताहरी, तंदूरी रोटी, राजमा-चावला, कढी-चावल आदि बनते हैं। महत्वपूर्ण बात

यह है कि भोजन की गुणवत्ता का खास ख्याल रखा जाता है। रसोई में बिजली, पानी और इसके रखरखाव की जिम्मेदारी नगर निगम उठा रहा है। ‘भारत माता की

जय’ और ‘जय हिंद’ के उद्घोष के साथ भोजन कराने की प्रक्रिया शुरू होती है और दोपहर में 12 से 3 बजे तक सभी जातियों तथा धर्म-मजहब के लोग साथ बैठकर

प्रेमपूर्वक भोजन करते हैं।

दीपक अग्रवाल कहते हैं कि यह अभियान भूख के खिलाफ एक बड़ा जन आंदोलन बनेगा। आगे चलकर दूसरे शहरों की सामाजिक संस्थाएं भी इस ओर ध्यान देंगी। प्रबंध समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी मनीष बंसल कहते हैं कि वह इस पहल को बहुत ही सराहनीय कार्य मानते हैं, और अपनी ओर से भरपूर सहयोग देते हैं।

रोजमर्रा की वस्तुओं की व्यवस्था एवं देखभाल सचिव शीतल टंडन करते हैं। मुख्य संरक्षक कमिश्नर अटल कुमार राय ने कहा कि दीपक अग्रवाल एक बेहद संवेदनशील, धर्मपरायण और सामाजिक सरोकारों से जुड़े कार्यों के प्रति समर्पित व्यक्ति हैं। उनकी इस मुहिम से पूरे इलाके में पूरा सहयोग मिल

रहा है और बड़ी संख्या में गरीब एवं भूखे लोगों के लिए प्रभु जी की रसोई

बहुत बडा सहारा साबित हुई है। महापौर डा.अजय सिंह और नगरायुक्त शीपू गिरि भी मार्गदर्शन करते हैं।

पिछले 8 वर्षों में यह अभिनव प्रयोग आशा के अनुरूप सफल होता दिख रहा है और दिनोंदिन लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहा है। इस रसोई को और बेहतर किए

जाने के प्रयास जारी हैकोविड 2020-21 के दौरान ‘प्रभु जी की रसोई’ से प्रतिदिन तीन से चार हजार लोगों को भोजन उपलब्ध कराया गया।

सहयोगकर्ता अपने जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ, बड़े बुजुर्गों की पुण्यतिथि,

पितृपक्ष अमावस, नवरात्रि व अन्य अवसरों पर आकर सहयोग करते हैं। उन्हीं

के आर्थिक सहयोग से इसका संचालन हो रहा है। सहारनपुर जनपद के अलावा दूसरे

शहरों व विदेशों में रहने वाले स्थानीय निवासी संस्था में प्रतिदिन किसी

न किसी अवसर पर परिवार व मित्रों सहित आते हैं। इसी के परिणाम स्वरूप

‘प्रभु जी की रसोई’ लगभग 8 वर्षों से अब तक 12 लाख से अधिक जरूरतमंदों को

निःशुल्क भोजन करा चुकी है। इससे समाज में प्रेम, एकता, सदभाव व सेवा का

संदेश प्रसारित हो रहा है। समिति के सचिव शीतल टंडन व उनकी टीम भावना के साथ सेवा, सदभाव, सम्मान, स्वच्छता, शुद्धता, गुणवत्ता एवं पारदर्शिता के

प्रति रसोई में सेवा करने वाला प्रत्येक सदस्य प्रतिबद्ध है। शीतल टंडन कहते हैं कि सभी धर्मों का संदेश है कि भूखे को भोजन कराना सबसे बड़ी मानव सेवा है। हमारी लड़ाई भूख के खिलाफ है। कोई भी व्यक्ति भूखा

न रहे। नर सेवा नारायण सेवा को यह रसोई चरितार्थ कर रही है। उम्मीद है कि

इस सेवा की अविरलता कायम रहेगी।